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लेखनी प्रतियोगिता -30-May-2022 जब भी मन उदास होता है

जब भी ये मन उदास होता है 
यादों का साया आसपास होता है 
तेरे खयालों में डूब जाता है दिल 
वो पल मेरा बहुत खास होता है 

खुलते बंद होठों की अनकही 
लरजते जिस्म की वो कंपकंपी 
उठती गिरती पलकों की सरगोशी 
उमंगों को व्यक्त करती तेरी हंसी 

मेरे इश्क की तरह लटका हुआ 
मेरी ही शर्ट पर तेरा वो एक बाल 
दिल की धड़कनें से झांकता तेरा हाल 
अपने खयालों में गुम सी तेरी चाल 

आलमारी में बंद कुछ मुस्कुराहटें 
ना जाने क्या कुछ कह जाती हैं 
कमरे में बिखरी हुई बेतरतीब धूल
तेरे स्वागत को आंखें बिछाती हैं 

शाम की तरह यादें स्वतः आती हैं 
मुझे बरबस तेरी पनाहों में ले जाती हैं 
अब तो सिर्फ यह देखना बाकी रहा है 
कि तू आती है या कि कयामत आती है 

हरिशंकर गोयल "हरि" 
30.5.22 


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10 Comments

Barsha🖤👑

03-Jun-2022 04:41 PM

Sundar

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Shnaya

31-May-2022 09:21 PM

शानदार प्रस्तुति 👌

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Shrishti pandey

31-May-2022 09:25 AM

Nice

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